रविवार, 23 दिसंबर 2018

हल्दी

आईने में खुद को देखा,
तो मैं भी सकपका गया,
आखिर कौन है ये इंसान,
जो मेरे चोले में आ गया?

वो हल्दी से पीला चेहरा,
आंखों में काला सुरमा,
पूरे देह मे हल्दी लीपा,
सर है तेल में डूबा,
कोई मुझको जरा बतला दे,
क्यों सजता है ऐसे दूल्हा,
आईना जब भी देखूँ,
हर बार यही मैं सोचूं,
किसका है ये चेहरा,
क्यों रंग है इसका सुनहरा,
क्यों काले काले काजल,
क्यों पूरा हो गया पीला।