मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।
गुरुवार, 5 दिसंबर 2019
मम्मी बोली
बुधवार, 25 सितंबर 2019
बरसात
इन्द्रधनुष हुआ आच्छादित,
मेघों ने उसका संधान किया,
तड़ित वाणों से आपस मे मिलकर,
जोरो से गर्जन नाद किया,
आघातों को सह कर के फिर,
मेघों ने है बरसात किया।
काले काले बादल थे वो,
अहंकार में था नाद किया,
आपस मे लड़कर फिर मेघों में,
जल बूंदों में विस्तार किया,
नन्ही नन्ही बूंदों ने फिर,
वर्षा कर धरा का मार्ग लिया।
--सुमन्त शेखर
शनिवार, 7 सितंबर 2019
चंद्रयान
बेवकूफ हैं वो लोग,
जो कहते हैं कि,
चंद्रयान सफल नही हुआ,
विक्रम चांद पर उतर ना सका,
अरे ये विक्रम था,
जिसे देख कर चांद भी डर गया,
और उसे आगोश में छुपा लिया,
चांद को भी डर था विक्रम से,
आज रोवर के आया है,
कल इंसान ले आएगा,
फिर चांद पर रहने वाला इंसान,
करवाचौथ कैसे मनाएगा,
यहीं पर गलती कर गया है चांद,
इसरो को चुनौती दे बैठा है चांद,
सोचता है विक्रम को रोक दिया,
तो रुक जाएगा हिंदुस्तान,
लेकिन ऑर्बिटर के पाश में,
अभी बंधा हुआ है चांद,
अभी भी मौका है,
सुधर जा ऐ चांद,
विक्रम को इसरो से,
जुड़ जाने दे चांद।
-- सुमन्त शेखर
बुधवार, 15 मई 2019
विमान यात्रा
मेरे शहर में रात होने को था,
अंधकार भी पैर पसारने को था,
इंडिगो विमान ने तब ही गति को पकड़ा था
फलक से ऊपर उड़ान भरना शुरू किया था,
क्षितिज को निहारने में आनंद आने लगा था,
विमान के एक ओर विकराल अंधकार था,
तो दूसरी ओर सूरज का प्रकाश था,
काले बादलों के ऊपर सूरज विद्यमान था।
ऊपर से नीला पिला नारंगी लाल था,
नीचे काले बदलो का फैला साम्राज्य था,
भीतर विमान के एल-इ-डी का प्रकाश था,
दूसरी तरफ अब घना अंधकार था।
परिचारिकाओं का चाय पानी भी व्यापार था,
शुरू में ही बताया ये उनका ही विचार था,
हमने भी ऊपर डैशबोर्ड का बटन दबाया था,
कुछ ग्लास पानी का बारबार मंगवाया था।
धीरे धीरे अंधकार हो रहा व्याप्त था,
अब क्षितिज पर हो रहा रात था,
मेरी आंखों पर नींद सवार था,
मुझे आया सोने का विचार था।
--सुमन्त शेखर
बुधवार, 20 मार्च 2019
होली
धु धु हा हा हु हु चट चट,
धु धु हा हा हु हु चट चट,
लो होलिका जल गई फट फट,
धु धु हा हा हु हु चट चट,
ले वरदान विधाता का,
अग्निभय से मुक्त हुई होलिका,
हिरण्यकश्यप को भयमुक्त करने,
जा बैठी संग प्रह्लाद होलिका,
ज्यों ज्यों सेज लगा फिर जलने,
चमत्कार किया फिर देखो हरि ने,
लगी होलिका थी अब जलने,
भक्त की रक्षा की थी हरि ने,
अहंकार द्वेष की जली होलिका,
प्रेम भक्ति दया की हुई थी रक्षा,
नगरवासियों ने फिर खेली होली,
प्रेम रंग खुशियों के गुलाल की होली,
चलो खेले अब हम भी होली,
प्रेम भाईचारे का रंग गुलाल लिए,
जीवन मे खुशियों का रंग असीम लिए,
शुभकामना का संदेश लिए।
--सुमन्त शेखर।