शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

बरसात

गर्मी में पानी,
जब लाई है आंधी,
तब्दील हो गयी
नदी में नाली।

लगे समंदर
सा हर मंजर,
गली गली,
या शहर शहर।

मौसम ने बदला,
आज जो करवट,
गाड़ी में बैठ के,
बन जा केवट।

--सुमन्त शेखर।

सोमवार, 16 जुलाई 2018

मैं

चल रहा था जंग,
आज फैसला हो गया,
हम जीत गए,
और मैं हार गया।
यूँ तो दर्द बहुत उट्ठा था,
मेरे सीने में,
हमारी जीत की खुशी में,
दर्द फिर से हार गया।
दिल रोता था आज मेरा,
तन्हा अकेले में,
साथियों के साथ ने,
फिर रोना भुला दिया।
--सुमन्त