तलाश है मुझे खुद की,
खुद से ये पूछता हूँ मैं,
कौन हूँ मैं?
ढूंढता अपने आस्तित्व को,
आईने से पूछता,
कौन हूँ मैं?
आंखों में स्वप्न लिए,
भटकता मैं दर दर,
कौन हूँ मैं?
हर मोड़ पर ख्वाहिशें है मिटती,
दिल के समंदर में लहरे है उठती,
कौन हूँ मैं?
गौण हूँ मैं,
तसल्ली का तलबगार,
गुमनाम हूँ मैं।
--सुमन्त शेखर।
मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।
मंगलवार, 1 अगस्त 2023
कौन हूँ मैं?
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