शनिवार, 26 दिसंबर 2020

हुनरबाज

हुनरबाजों का हमने हुनर है देखा,
भवंर से किश्ती को निकलते देखा,
खोई उम्मीद को जागते देखा,
अमावस में चांद निकलते देखा।

हाथों में करीने की सफाई देखी,
टूटे मशीनों की जुड़ाई देखी,
संभावनाओं की अनंत जहां देखी,
हौसलों की मुकम्मल उड़ान देखी।

--सुमन्त शेखर।

शनिवार, 28 नवंबर 2020

।।निज व्यथा कथा।।

उलझा हुआ हूँ खुद में आज मै,
कैसे बाहर आऊं,
जीवन की यह अबूझ पहेली,
कैसे मै सुलझाऊँ।
डेडलाइन की विकट समस्या,
स्प्रिंट में बतलाऊँ,
माइल स्टोन के चक्कर मे,
मैं खुद ही फंस जाऊं।
अरे छुट्टी फुट्टी भूल जा भईया,
अब काहे आफिस जाऊं,
अब घर से ही है काम जे करना,
छुट्टी ना ले पाऊँ।
अब आया है समय रे भईया,
काम जो कुछ कर जाऊं,
घर परिवार मित्र और खुद को,
थोड़ा समय दे पाऊँ।
-सुमन्त शेखर

रविवार, 9 अगस्त 2020

प्रयास

करत करत प्रयास में,
हो गया सुबह का शाम।
जस का तस प्रॉब्लम रहा,
मिला न कोई समाधान।।

।।सुमन्त शेखर।।

बुधवार, 5 अगस्त 2020

राम

मानवता, सदभाव, दया का,
कलयुग में फैले धर्म पताका,
ईर्ष्या द्वेष घृणा लोभ का,
मनुज करे अब त्याग अहम का।

अरे राम राज की तुम करो कल्पना,
सभी मित्र है ना कोई शत्रु अपना,
क्यू आपस मे बैर है रखना,
प्रेम से सबलोग मिलजुल रहना।

समभाव से देखो ना कंग्रेस भाजपा,
अरे छोड़ दो झगड़ा राम है सबका।
-सुमन्त शेखर।।

सोमवार, 6 जुलाई 2020

नेता

यूं रोज रोज हमे भटकाया ना करो,
बात मुद्दे की हो तो करो,
रक्षा के भेद टोहते हो हमेशा,
सोचता हूँ तुम्हारा काफिला है कैसा,
क्यूं उम्मीदों के दीपक तुम बुझाते हो,
अपनी फजीहत बार बार करवाते हो,
काफिले के सितारों को सूरज बनने नही देते,
निज स्वार्थ मे डूबे खुद को उठने भी नही देते,
सिंह सी गर्जना तुम कर नही सकते,
और किसी के गर्जन को तुम सुन नही सकते,
जानते हैं हम प्रधानमंत्री बनना है तुम्हे,
प्रधानमंत्री की औकाद जाहिर कर नही सकते।
--सुमन्त शेखर

सोमवार, 30 मार्च 2020

डेवेलपर गाथा

कहीं मैनेजर सुनाता है,
कहीं डायरेक्टर डराता है,
डेवेलपर की परेशानी तो,
आर्किटेक्ट समझता है।

वो कोड ही कोड कैसा?
कि जिसमे बग ना रहता है।

कि कैसे कोड लिखना है,
कैसे डिज़ाइन करना है,
मेमोरी लीक की हरएक गुत्थी,
डेवेलपर समझता  है।

की टेस्टर और डेवेलपर की,
हमेशा जंग रहती है,
डेवेलपर की डिज़ाइन को,
टेस्टर बग बताता है।

मैनेजर तो फंसा रहता,
डिलेवरी कब की देनी है,
उधर बिलिंग का पंगा है,
इधर रिसोर्स अटका है।

डिरेक्टर और मैनेजर संग,
फिर आर्किटेक्ट बैठता है,
सबकी परेशानी को फिर अंततः
डेवेलपर ही सुलझाता है।
-सुमन्त शेखर

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

काठमांडू यात्रा

इन्तेजार के ये पल,
कुछ बीत गए, कुछ बीतेंगे।
मंजिल हमको रोक रही,
पर मंजिल तक हम पहुचेंगे।

है रात हो चली, शाम ढल गयी,
मेरी भी है वाट लग गयी।
नींद ने मुझसे ठानी है,
रात भर की जगवारी है।

मैं यहां जगु, सब वहां जगे,
इन्तेजार में रात ये काली है।
पहले पत्नी थी इसमे उलझी,
अब आयी मेरी बारी है।

काठमांडू की पहली यात्रा,
अबतक सबसे भारी है।
पशुपतिनाथ के दर्शन की इच्छा,
अब भी मेरे मन मे बाकी है।
--सुमन्त शेखर।

सोमवार, 27 जनवरी 2020

मेंरे देश की मिट्टी

जो मुश्किलों से मिलता है अनमोल होता है,
मुफ्त की चीजों का भला कोई मोल होता है।
अपने वतन की कीमत तुम क्या जानो, 
भला तुमने कोई बसता हुआ चमन देखा है?
मिल गयी विरासत में तो लड़ते फिरते हो,
कि जमीन का ये टुकड़ा तेरा ये मेरा है,
बसाओ किसी उजड़े हुए भूभाग को,
फिर मेरा हिस्सा भी तेरा है,
ये देश जितना मेरा है उतना ही तेरा है,
कितनो ने दिए है बलिदान इस मिट्टी के लिए,
तुझसे तो खून का एक कतरा भी ना मंगा है,
सिख ले मुहब्बत करना इस देश की मिट्टी से,
अंत मे तुझे इसी मिट्टी में मिल जाना है।
--सुमन्त शेखर