रविवार, 23 दिसंबर 2018

हल्दी

आईने में खुद को देखा,
तो मैं भी सकपका गया,
आखिर कौन है ये इंसान,
जो मेरे चोले में आ गया?

वो हल्दी से पीला चेहरा,
आंखों में काला सुरमा,
पूरे देह मे हल्दी लीपा,
सर है तेल में डूबा,
कोई मुझको जरा बतला दे,
क्यों सजता है ऐसे दूल्हा,
आईना जब भी देखूँ,
हर बार यही मैं सोचूं,
किसका है ये चेहरा,
क्यों रंग है इसका सुनहरा,
क्यों काले काले काजल,
क्यों पूरा हो गया पीला।

शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

दर्द

दर्द कितना भी हो,
सीने में छुपाए रखना,
जब सामने दुनिया हो,
मुस्कान बनाए रखना,
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
आंखों से इन्हें मत छलकने देना,
तमाशबीन है लोग यहाँ,
खुद का तमाशा ना बनने देना,
मौकापरस्ती के इस दौर में,
खुद को यू सम्हाले रहना,
जैसे अंगारों पर चल के भी,
पैरो को हो बचाये रखना,
खुद की शख्शियत तुम्हारी,
इसे भीड़ में बचाये रखना,
दर्द कितना भी हो,
सीने में छुपाए रखना।
--सुमन्त

रविवार, 23 सितंबर 2018

निर्झर

वो गिराता है खुद को रोज उस ऊँचाई से,
बिखेरने को खुद को टुकड़ो में हजार,
अमृत बिंदु सा श्वेत लगता है दुग्ध धार,
दिखता है निर्झर इन वादियों में कई बार।

यूँ तो टूट कर बिखरने की कला है ये खास,
ऊंचाई से गिर कर भी सम्मान होता न हास,
जब इंद्रधनुष के ताज से सजता दिखता बेहद खास,
सिखाने को अभी बहुत कुछ ऐ निर्झर तेरे पास।
--सुमन्त शेखर

शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

।।अजातशत्रु।।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि🙏

पगडंडी से सड़क बनाया,
विदेशो में भी नाम कमाया,
दूध के बदले खीर खिलाया,
घुसपैठियों को चीर भगाया,
पक्ष विपक्ष को साथ बिठाया,
अजातशत्रु का नाम कहलाया,
कुशल वक्ता कवि राजनीतिक छवि,
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी|
--सुमन्त शेखर

मंगलवार, 14 अगस्त 2018

करार

मेरी नींद उड़ गई,
रातों का करार खो गया,
जब मुझे बदहजमी हुई,
और पेट खराब हो गया।
--सुमन्त

मोहब्बत

शायरों के बाजार में,
हमारा भी नाम हुआ।
जब से मोहबब्त लिख्खा,
ये शायर बदनाम हुआ।।
--सुमन्त शेखर।

दुराहा

फिर से आज दुराहा है,
जाने कौन छलावा है,
असमंजस ने उलझाया है,
किस राह हमें अब जाना है।

चिंतन का ये विषय गहन है,
प्रारब्ध स्वयं में अति प्रबल है,
किस ओर हमे यह खिंचेगा,
क्या इस रण से अब तू जीतेगा?
-- सुमन्त

बुधवार, 8 अगस्त 2018

जीना आ गया

बादलों को बरसना आ गया,
मौसम को बदलना आ गया।
बेवक्त की तेज आँधियों में,
पेड़ो को झुकना आ गया।।

ईंट पर ईंट ही रखी थी,
की आज बंगला बन गया।
और बून्द बून्द कर के देखो,
फिर से ये घड़ा भर गया।।

सागर की ऊंची तेज लहरों को,
वापस पानी मे मिलना आ गया।
इस बदलते हुए दौर में,
फिर से मुझे जीना आ गया।।
--सुमन्त शेखर।

शनिवार, 4 अगस्त 2018

इंटरैक्टिव

एंगुलर एंगुलर,
कर ले तू भी रियेक्ट,
नोड के संग है
गल्प, ग्रन्ट, वेबपैक,
हाइपर टेक्स्ट स्टाईल शीट,
जावास्क्रिप्ट क्लाइंट साइड,
चूज़ एनी फ्रेमवर्क टू
मेक इट आल राइट,
एस पि ए का है टाइम,
स्टेट मैनेजमेंट प्राइम,
करो पास डाटा चाहे,
बाइंडिंग सिंगल साइड,
बेहवीयर को यूज़ करो,
या फिर इवेंट कास्ट,
मॉडयूलर डिज़ाइन करे,
एप्लिकेशन एकदम फ़ास्ट।
एंगुलर एंगुलर,
कर ले तू भी रियेक्ट,
नोड के संग है
गल्प, ग्रन्ट, वेबपैक।
--सुमन्त

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

बरसात

गर्मी में पानी,
जब लाई है आंधी,
तब्दील हो गयी
नदी में नाली।

लगे समंदर
सा हर मंजर,
गली गली,
या शहर शहर।

मौसम ने बदला,
आज जो करवट,
गाड़ी में बैठ के,
बन जा केवट।

--सुमन्त शेखर।

सोमवार, 16 जुलाई 2018

मैं

चल रहा था जंग,
आज फैसला हो गया,
हम जीत गए,
और मैं हार गया।
यूँ तो दर्द बहुत उट्ठा था,
मेरे सीने में,
हमारी जीत की खुशी में,
दर्द फिर से हार गया।
दिल रोता था आज मेरा,
तन्हा अकेले में,
साथियों के साथ ने,
फिर रोना भुला दिया।
--सुमन्त

सोमवार, 26 मार्च 2018

दीपक

दीपक हो,
जलना ही पड़ेगा,
अंधेरे से दो दो हाथ,
करना भी पड़ेगा,
डरो मत,
कि घना अंधकार है,
दीपक के जलते ही,
अंधकार को मिटना पड़ेगा।
--सुमन्त शेखर।

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

बरसे रे बदरिया

बरसे रे बदरिया रंग भर के,
पिचकारी से जीया भर के,
कहीं रंग उड़े और गुलाल चले,
कहीं फूलों से भी होली मने,
तन मन सब है यहाँ रंग से सने,
बच्चे भी है यहां खूब रमे,
चेहरे सब के रंगीन दिखे,
होली में सब रीझे दिखे,
प्यार मोहब्बत खूब चले,
भाईचारा का संदेश मिले,
घृणा द्वेष का भाव मिटे,
जनमन में प्रेम का रंग बसे।
--सुमन्त शेखर।