सोमवार, 27 जनवरी 2020

मेंरे देश की मिट्टी

जो मुश्किलों से मिलता है अनमोल होता है,
मुफ्त की चीजों का भला कोई मोल होता है।
अपने वतन की कीमत तुम क्या जानो, 
भला तुमने कोई बसता हुआ चमन देखा है?
मिल गयी विरासत में तो लड़ते फिरते हो,
कि जमीन का ये टुकड़ा तेरा ये मेरा है,
बसाओ किसी उजड़े हुए भूभाग को,
फिर मेरा हिस्सा भी तेरा है,
ये देश जितना मेरा है उतना ही तेरा है,
कितनो ने दिए है बलिदान इस मिट्टी के लिए,
तुझसे तो खून का एक कतरा भी ना मंगा है,
सिख ले मुहब्बत करना इस देश की मिट्टी से,
अंत मे तुझे इसी मिट्टी में मिल जाना है।
--सुमन्त शेखर