तलाश रहा हुँ मैं खुद को
जाने क्या मेरी पहचान है
कौन हुँ मैं क्या ध्येय है मेरा
सबसे बड़ा सवाल है ?
जीवन के अंधेर डगर पर
किस मंजिल तक मुझे जाना है
क्या खोना है,क्या पाना है
कब तक धक्के खाना है ?
उलझी है ये डोर जगत की
कैसे इसे सुलझाना है
सोच रहा हुँ मै मुसाफिर
कितनी दुर अभी जाना है ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें