सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

वाकया

गेट तो हमने भी उड़ाया था,
दीवार के बारे में सोचा भी नहीं,
वो वाकया भी बड़ा गजब था,
जो रास्ते में हमे दिखाई दिया।

वो तो एक ट्रक निकला,
जो हमसे आगे बढ़ गया,
गेट और दीवार को छोड़,
घर के भीतर घुस गया।

मेहरबाँ था आज ऊपरवाला,
नुकसान केवल आर्थिक निकला,
सड़क किनारे घर होने का,
ये भी एक नुकसान निकला।

घर था वो बड़ा मजबूत वाला,
करोड़ पति के रुतबे वाला,
ढह गया दीवार आज उसका,
ये दीवार नहीं, रुतबा था उसका।

--सुमन्त शेखर।

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