दर्द कितना भी हो,
सीने में छुपाए रखना,
जब सामने दुनिया हो,
मुस्कान बनाए रखना,
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
आंखों से इन्हें मत छलकने देना,
तमाशबीन है लोग यहाँ,
खुद का तमाशा ना बनने देना,
मौकापरस्ती के इस दौर में,
खुद को यू सम्हाले रहना,
जैसे अंगारों पर चल के भी,
पैरो को हो बचाये रखना,
खुद की शख्शियत तुम्हारी,
इसे भीड़ में बचाये रखना,
दर्द कितना भी हो,
सीने में छुपाए रखना।
--सुमन्त
मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।
शनिवार, 27 अक्तूबर 2018
दर्द
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