बेवकूफ हैं वो लोग,
जो कहते हैं कि,
चंद्रयान सफल नही हुआ,
विक्रम चांद पर उतर ना सका,
अरे ये विक्रम था,
जिसे देख कर चांद भी डर गया,
और उसे आगोश में छुपा लिया,
चांद को भी डर था विक्रम से,
आज रोवर के आया है,
कल इंसान ले आएगा,
फिर चांद पर रहने वाला इंसान,
करवाचौथ कैसे मनाएगा,
यहीं पर गलती कर गया है चांद,
इसरो को चुनौती दे बैठा है चांद,
सोचता है विक्रम को रोक दिया,
तो रुक जाएगा हिंदुस्तान,
लेकिन ऑर्बिटर के पाश में,
अभी बंधा हुआ है चांद,
अभी भी मौका है,
सुधर जा ऐ चांद,
विक्रम को इसरो से,
जुड़ जाने दे चांद।
-- सुमन्त शेखर
मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।
शनिवार, 7 सितंबर 2019
चंद्रयान
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