सोमवार, 6 जुलाई 2020

नेता

यूं रोज रोज हमे भटकाया ना करो,
बात मुद्दे की हो तो करो,
रक्षा के भेद टोहते हो हमेशा,
सोचता हूँ तुम्हारा काफिला है कैसा,
क्यूं उम्मीदों के दीपक तुम बुझाते हो,
अपनी फजीहत बार बार करवाते हो,
काफिले के सितारों को सूरज बनने नही देते,
निज स्वार्थ मे डूबे खुद को उठने भी नही देते,
सिंह सी गर्जना तुम कर नही सकते,
और किसी के गर्जन को तुम सुन नही सकते,
जानते हैं हम प्रधानमंत्री बनना है तुम्हे,
प्रधानमंत्री की औकाद जाहिर कर नही सकते।
--सुमन्त शेखर

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