रविवार, 25 मई 2014

मेरे मित्र

कई मित्र मेरे 
जो पढ़ते थे कविता औरो की 
आज के दौर में 
रचनाकार है कविताओ के 

भटकते थे जो दर बदर 
एक नौकरी की तलाश में 
अपनी संस्था में 
लोगो को नौकरियां बाँट रहे है 

संघर्ष रत थे 
जो अध्ययन के छेत्र में 
सफल है अधयापन के छेत्र में 
वो चेहरे 

कभी जो सोचते थे 
निज लाभ का 
आज सबका भला 
सोच रहे है 

ख़्वाब जो देखे थे 
हमसब ने मिलकर 
औरो को उसके आगे का 
ख़्वाब दिखा रहे है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें