मेरे एक मित्र ने
अपनी पत्नी को घर जाने के लिए
भरी दोपहरी में लाइन लगकर
रेल का टिकट बुक कराया
जाने क्या हुआ उनकी पत्नी को
घर ना जाने की इच्छा बताया
लगा जैसे कोई पुराना खत
आज उनके हाथ है आया
मित्र हमारा
परेशान बेचारा
टिकट मिला था
वेटिंग वाला
आनन फानन में
उस ने सारा जोर लगाया
रेलवे से है भिड़ा बेचारा
तत्काल का टिकट है निकला
जैसे तैसे करके उसने
पत्नी को है अभी मनाया
जाएगी अब पत्नी घर को
बड़ा सुकुन है उसने पाया।
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