रविवार, 22 मार्च 2015

एक याद

वो मेदु वड़ा 
वो टिकुली ढाबा 
गोभी चिली संग 
रोटी खाना 
वो पनीर भर्ता 
वो भेज मन्चुरी 
एक रुपये में मिलता
वहा एक रोटी 
सस्ता था आमलेट करी
मुझे महंगा लगता तड़का दाल 
मिर्ची का क जब छोंका लगता 
निखर जाता था खाने स्वाद 
वो बाबु भाई की चाय दुकान
जहा अक्सर बिता शाम 
सबका था वो मीटिंग सेंटर 
हर बात पर होता था मंथन 

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