मद्धम मद्धम सी रौशनी अब चाँद की
शर्म से लाल होने लगी है
बादलों का झुरमुट भी अब देखो उससे
जाने क्यों दूर जाने लगा है।
जाने क्यों दूर जाने लगा है।
लालिमा को ढकने वाला बादल आज
चाँद को कश्मकश में क्यों छोड़ गया
शायद लाल होते हुए चाँद के दीदार से
आज बादलो को भी शरमाना आ गया।
-- सुमन्त शेखर
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