रविवार, 20 अप्रैल 2014

घर के जैसा स्वाद

पूरी चावल 
रसम सांभर 
साथ में दही, पापड़ 
चटनी और अचार 
खाते है हम अक्सर 
दोपहर के भोजन में आज 
कभी कभी आलू पराठा 
कभी तंदूरी रोटी चार 
खाने के बाद हरदिन 
हम मठ्ठा (मजगे) पीते यार 
पिज़्ज़ा भी है हमसब खाते 
बिरयानी का भोग लगाते 
अलग अलग रेस्तरा में जाते 
नया नया ब्यंजन हम खाते 
ज्वार की रोटी 
गाजर का हलवा 
मलाई कोफ्ता 
कुलचा और नान 
हमसब को भाते यार 
फिरभी नहीं है मिल पाता 
घर के जैसा स्वाद
फुलके संग सब्जी का 
अलग ही होता है अंदाज  
तलाश करते हम जिसका 
बेसब्री के साथ 
विरले ही मिल पाता है 
घर के जैसा स्वाद। 

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