मूर्ख दिवस
उत्कर्ष दिवस
अप्रिल मास का
प्रथम दिवस
खुद को कहते
मूर्ख आज लोग
अपने क्षेत्र के
विद्वान लोग
ज्ञान का सागर अगाध है
सबके पास उसकी प्यास है
अकेला पारंगत कोई नहीं
बुँदे सबके पास दो चार है
सबमे कुछ गुण खास है
उसमे वो विद्वान है
उन गुणो को छोड़ शेष गुणो में
हर कोई मूरखराज है
जहा जहा ये शून्य है आता
हर इंसान है मूर्ख कहाता
इस शून्य से जो आगे बढ़ता
उसका ही उत्कर्ष है होता
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