लल्लू भईया घर से निकले,
सुबह में आफिस जाने को,
बीच सड़क में जाम लगा था,
अब राह नही कोई जाने को,
बीत गया जब जाम में घंटा,
आफिस लगा बुलाने को,
पगडंडी पर भागे भईया,
आफिस जल्दी जाने को,
वहाँ भी लंबा लाइन दिखा फिर,
लगा जाम सताने को,
बड़े पापड़ बेले लल्लू भईया ने,
वापस सड़क पे आने को,
आने जाने के चक्कर में,
लगा पसीना आने को,
थके हारे जब लल्लू भईया,
वापस चले घर आने को।
--सुमन्त शेखर।
रदीफ़ ठीक करने का प्रयास है।
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