यु तो कई रास्ते है सामने मेरे
सबके दरवाजे है बंद पड़े
हर दरवाजा मैं खटखटाता हूँ
मालूम नहीं कहा रखी है तक़दीर मेरी
बस इक उम्मीद जलाये रखता हूँ
कब मिल जाये तक़दीर मेरी......
सबके दरवाजे है बंद पड़े
हर दरवाजा मैं खटखटाता हूँ
मालूम नहीं कहा रखी है तक़दीर मेरी
बस इक उम्मीद जलाये रखता हूँ
कब मिल जाये तक़दीर मेरी......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें