होलिका जली प्रहलाद बचा
सारा संसार रंगो से पटा
घृणा बैर सब छोर छार के
मिले एक दुसरे से गले लगा के
अबीर उड़े गुलाल चले
रंगो की बौछार पड़े
क्या बच्चे क्या बुढ़े लोग
रंगो में भीगे सबलोग
कोई रंगो की बंदुक चलाये
कोई गालो पर गुलाल मले
कोई माथे पर टिका लगाये
कोई चरणो पर अबीर रखे
गली गली में रंग उड़े
कही कही हुड़दंग मचे
जैसे जैसे ये दिन बढे
सब पर होली का रंग चढ़े
हर घर में पकवान बने
दही-बड़े का भोग लगे
छोला कटहल भी खुब चले
किसी पर भंग का रंग चढ़े
सदभाव सौहाद्र सीने में बसा के
रंग अबीर की थाल सजा के
प्रेम भाईचारा का संदेश लेके
मिलजुल कर हमसब होली खेले
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