रविवार, 9 मार्च 2014

खेलो होली सब हर साल

रंगों का त्योहार है आया 
खेलो जम के होली रे 
छुटेगी फुहार सभी की 
हसी खुशी ठिठोली रे 

होलीका का हवन जलाकर 
पिचकारी से धार चला कर 
भांग का प्रसाद खिला कर 
खेले होली सब मिलजुल कर 

रंगबिरंगे सब के चेहरे 
अबीर गुलाल है सब ने खेले 
कुछ है सुखे कुछ के गीले 
रंजो गम आपस के भुले 

अलग अलग पकवान बने है 
सबसे मिलने लोग चले है 
होली का ये मिलन अनूठा 
बैर भाव भुल, प्यार से मीठा 

रंग होली के जीवन में भर लो 
हर भाव समाहित खुद में कर लो 
स्नेह समर्पण का ये त्योहार 
खेलो होली सब हर साल 

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