होश तो जाने किस जहान में रहता है
ना दर्द का एहसास होता है
ना खुशियों का भान
ऐसे मोजों में अक्सर खो जाता इंसान
इक ख़ुशी भी है इक गम भी पास
जाने कैसा था वो एहसास
इक बार मिला फिर छूट गया
हर गम के बादल चीर गया
नया सबेरा दिखा गया
अदभुत था मेरा वो एहसास ।
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