आज कितना चुप हुँ मै
कुछ बोलने को मन नहीं कर रहा
फिर आपको देखकर
चुप रहा नहीं जाता।
ना जाने ये कैसी
अजीब सी उलझन है
ना निगलने को बनता है
ना उगला ही जाता है।
बीच मझधार के से
फंस गया हु मै
कोई तो हाथ बढ़ा दो यार
देखो कितना उलझ गया हुँ मै।
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