अब कुछ अर्ज भी कर दो यार
कान तरस गए सुनने को
कब से खामोश बैठे हो
क्या तुम सच में गुंगे हो
तुम्हे ना मालूम हो लेकिन
सुरों के सरताज हो तुम
तुम सितार के तार हो
वीणा की मधुर तान हो तुम
सुगम संगीत का राग हो तुम
पपीहे की आवाज हो तुम
पानी का कलकल गीत हो तुम
एक मन्द मधुर मुस्कान हो तुम
खुद को अब पहचानो यार
करो दुनिया से नजरे चार
इतना मत शरमाओ यार
अब तो अर्ज कर ही दो यार
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