रविवार, 7 दिसंबर 2014

फिर सुबह होगी

रात होती है कि अब फिर सुबह होगी 
हर रात की किस्मत यही मुकम्मल होगी​​

ये जो बीत गया दिन बेहद हसीन था 
आनेवाला दिन भी लाजवाब होगा 

बस इस रात को गुजर जाने दो
कि सुबह फिर तुम्हे गले लगा सके 

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