शनिवार, 20 दिसंबर 2014

उसने मुझे शहर जो दिखानी थी

आज जब बत्ती गुल हुई 
मै बालकनी में चला आया 
अपने शहर का नजारा बड़ा खास था 
चारो तरफ घना अँधेरा और 
बीच में गाड़ियों की रौशनी में जगमगाता सड़क था 
चमचमाती इमारतों को तो देखो 
लगता था मानो किसी ने 
हीरे जड़ दिये हो इस अँधेरे शहर में 
हर विराना गुलजार था इस अंधेर में भी 
युँ तो रोजमर्रा की जिंदगी में
बिजली जाती थी घंटे - दो घंटे के लिए
पर आज कुदरत कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी 
नहीं जान पता मै अपने शहर को करीब से इतने 
ये तो बिजली विभाग की मेहरबानी थी 
उसने मुझे शहर जो दिखानी थी 

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