शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

पड़ाव ये आखिरी

दर्दे जुदाई तो अब सहना पड़ेगा 
हमे भी इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा 
जिंदगी के सफर में मुकाम हजारो है 
हमें हर मुकाम को पार करना पड़ेगा 

माना की इस कहानी का पड़ाव ये आखिरी
पर जान लो ये सफर की छोटी सी इक कड़ी  
अभी और भी है कड़िया कई जोड़नी 
हर जोड़ पर इसके हमे मिलती नई कहानी 

जिंदगी के सफर में मिलते है मुसाफिर अनेक 
सब देते जाते हमको अपने अनुभव बुरे भले 
हु मै शुक्रगुजार उनसब मुसाफिरों का 
जिन्होंने मुझे सिखाया फलसफा ये जिंदगी का 

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